फूल क्या होता है,
क्या सोचा है किसी ने,
जब कली का रूप लेता है,
तो कितना प्यारा लगता है
और जब खिल जाता है तो
उसकी सुगंध चारो और बिखर
जाती है बिखर
और चार दिन बाद वो
जाता है मुरझा
और हो जाता है
उसका अस्तित्व्य ख़तम
ऐसे ही जीवन है
मनुष्य का
जन्म लिया
अपनी खुसबू बिखेरा
और मिल गया पंच्त्व्य में
कितनी समानता है दोनों में
तब क्यों लड़ते है हम लोग आपस में
क्यों न फूल की तरह हम बिताये जिन्दगी को
क्या सोचा है किसी ने,
जब कली का रूप लेता है,
तो कितना प्यारा लगता है
और जब खिल जाता है तो
उसकी सुगंध चारो और बिखर
जाती है बिखर
और चार दिन बाद वो
जाता है मुरझा
और हो जाता है
उसका अस्तित्व्य ख़तम
ऐसे ही जीवन है
मनुष्य का
जन्म लिया
अपनी खुसबू बिखेरा
और मिल गया पंच्त्व्य में
कितनी समानता है दोनों में
तब क्यों लड़ते है हम लोग आपस में
क्यों न फूल की तरह हम बिताये जिन्दगी को
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