क्यों टूट रहे  है रिश्ते 
मैं की भावना हो दिल में,
तो हर रिश्ता गलत लगता है 
इसी का खामियाजा सबको मिलता है 
पर हम  लोग चूर है  
सुख खोजने में
जो है उसकी कदर नहीं 
जो नहीं है उसके लिए लड़ रहे है 
इसलिए टूट रहे रिशते 
हम किसी की कदर ही नहीं करते 
आज अहम् की भावना बहुत है 
सुख की खोज बड़े घर, बड़े कार
में जा रहा है खोजा 
सब अपने में है चूर
कोई किसी नहीं चाहता है समझना 
सब मस्त है अंधी दौड़ में
जो ये समझ ले की अहम् कुछ नहीं होता 
तब रिश्ते टूटने से बच सकते है   
 
 
     

टिप्पणियाँ

विभूति" ने कहा…
risto ko arth deti behtreen rachna.....
विभूति" ने कहा…
risto ko arth deti behtreen rachna.....

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