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मानवता खो गयी कही

आज मानवता खो गयी कही हर कोई लूटने में  लगा है कैसे हम  आगे बढे इसी सोच में  डूबा है लूट रही है अस्मिता नारी की कहा रह गयी मानवता किसी  को हो दुःख तो लोग  मजाक बना देते है कहा है संवेदना बड़े घरो में जो रहते है वो और भी दुखी है हर कोई उसका उठाता फायदा   है   कहा है मानवता  हर तरफ अँधियारा है कौन दीप जलाये और जो खो रही मानवता उसे ढूढ कर कहा से लाये गरिमा